सेमिनार के मुख्य विषय और उद्देश्य इस प्रकार हैं:
सीखने के तरीके (How to learn)
चौथी आयाम की शिक्षा: डॉ. शर्मा के अनुसार, पारंपरिक शिक्षा में यह नहीं सिखाया जाता कि “सीखना कैसे है”। उनके सेमिनार इसी कमी को पूरा करते हैं, ताकि विद्यार्थी याद रखने, अवधारणाओं को समझने और याददाश्त को बढ़ाने के तरीके सीख सकें।
तनाव-मुक्त वातावरण: सेमिनार का एक प्रमुख उद्देश्य छात्रों के लिए पढ़ाई को तनाव-मुक्त बनाना है। इसमें ऐसी रणनीतियाँ बताई जाती हैं जो न केवल याददाश्त बढ़ाती हैं, बल्कि तनाव भी कम करती हैं।
याददाश्त बढ़ाने की तकनीकें
स्मृति (मेमोरी) में सुधार: डॉ. शर्मा निमोनिक्स (स्मृति सहायक), दृश्य तकनीकें और अन्य वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग करके याददाश्त को मजबूत बनाने पर जोर देते हैं।
आसान स्मरण: सेमिनार में सिखाया जाता है कि कैसे जानकारी को आसानी से याद किया जा सकता है, जिससे पढ़ाई में लगने वाला समय कम हो जाता है।
पक्की याददाश्त: एक बार सीखी गई जानकारी को लंबे समय तक, यहाँ तक कि जीवन भर याद रखने के तरीकों पर भी ध्यान केंद्रित किया जाता है।
तेज और सटीक पुनर्स्मरण: सेमिनार में ऐसी तकनीकें सिखाई जाती हैं जो परीक्षा के समय जानकारी को बिना किसी गलती के तुरंत याद करने में मदद करती हैं।
मस्तिष्क विज्ञान का व्यावहारिक उपयोग
लिंक विधि: यह तकनीक एक-दूसरे से जुड़ी हुई छवियों की श्रृंखला बनाकर तथ्यों को याद करने में मदद करती है।
आरेख और फीचर विधियाँ: यह अवधारणाओं को बेहतर ढंग से समझने के लिए उन्हें दृश्य रूप में प्रस्तुत करने पर केंद्रित है।
व्यक्तिगत छवि प्रणाली: यह तकनीक जानकारी को व्यक्तिगत या परिचित छवियों से जोड़कर याददाश्त को बढ़ाती है।
मल्टीपल इंटेलिजेंस को सक्रिय करना: सेमिनार में कई बुद्धिमत्ताओं (जैसे दृश्य, श्रवण) को सक्रिय करने पर जोर दिया जाता है, जिससे सीखने की प्रक्रिया और भी प्रभावी हो जाती है।
शैक्षिक नवाचार
शैक्षिक परिवर्तन: डॉ. शर्मा शिक्षा में बदलाव लाने और छात्रों के लिए सीखने के परिणामों को बेहतर बनाने के लिए मस्तिष्क विज्ञान को शिक्षा प्रणाली में एकीकृत करने के महत्व पर प्रकाश डालते हैं।
शिक्षकों और अभिभावकों के लिए कार्यशालाएँ: सेमिनार केवल छात्रों तक ही सीमित नहीं होते, बल्कि शिक्षकों और अभिभावकों के लिए भी आयोजित किए जाते हैं। इनका उद्देश्य सभी को शैक्षिक तंत्रिका विज्ञान के नवीनतम तरीकों और सीखने के बेहतर वातावरण को बढ़ावा देने के तरीकों से अवगत कराना है।
