Memory Formula to learn Super Fast

मार्क ट्वेन ने कहा था, “मौसम कैसा है, सब बात करते हैं, लेकिन कोई इस बारे में कुछ करता नहीं. यह सच है कि सभी लोग अच्छी याददाश्त चाहते हैं, पर उसके लिए भी कोई कुछ नहीं करता. कल मौसम कैसा रहेगा, उस पर आज किसी का बस नहीं. लेकिन हम बेहतर याद कर सकते हैं. आज से ही. क्यों न करें?

CRISMAS से रहेगा याद

सी : कंसंट्रेशन – Concentration (एकाग्रता)

यह याद रखने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण कारक है. पढाई करते वक़्त बच्चे एकाग्रता के लिए क्या क्या करते हैं ? शांत वातावरण ढूंढते हैं, शोर शराबे और खलल से दूर हो जाते हैं, क्योंकि ऐसा लगता है की एकाग्रता के लिए शांति ज़रूरी है, लेकिन वही बच्चे जब टीवी या कार्टून देखते है तो बिलकुल विचलित नहीं होते, चाहे आस पास कितना ही शोर हो. इसका मतलब है एकाग्रता रूचि पर आधारित होती है. अगर विषय को रुचिकर बना दिया जाए तो एकाग्रता या कंसंट्रेशन अपने आप ही सौ फीसदी हो जाएगा और अच्छा याद हो जाएगा.

आर : रिडिक्युलस थिंकिंग (अजीब सोच)

जो चीज़ें अजीब होती हैं, अनोखी होती हैं, अटपटी होती हैं या हास्यास्पद होती हैं, हमारा दिमाग उन्हें जल्दी याद करता है, जैसे चुटकुले थ्योरी से जल्दी याद होते हैं, क्योंकि हास्यास्पद हैं. अगर विषय को रिडिक्युलस बनाया जाए तो वह रुचिकर भी हो जाएगा और याद हो जाएगा.

ऐबीसी (ABC) करेगा काम
रिडिक्यूल यानि किसी भी चीज़ को अजीब करने के लिए हम ऐबीसी नियम की मदद लेंगे

  • ऐ (A) मतलब एक्शन I जो चीज़ें एक्शन यानि गति में होती हैं उन्हें हमारा दिमाग तेज़ी से याद करता है. जब हम मेला देखकर घर आते हैं और मेले के बारे में सोचते हैं तो हमें आकाश झूला घूमता हुआ सा दिखाई देता है I हमें चित्रों से ज्यादा चलचित्र जल्दी याद होते हैं. 
  • बी (B) यानि बिग जो चीज़ आकर में बड़ी होती है, हमारा दिमाग उन्हें अच्छी तरह याद रखता है. 
  • सी (C) यानि कलरफुल. हमारा दिमाग रंगों की और जल्दी आकर्षित होता है और रंगों में ज्यादा रूचि अनुभव करता है. अगर हम किसी भी सूचना को अपनी कल्पना में एक्शन यानि गतिशील, बिग यानि बड़ा और कलरफुल यानि रंगीन करें तो वो सूचना दिमाग में स्थाई हो जाएगी. जैसे कल्पना करें की हमारे हाथ में सेब है, जो आपसे भी ज्यादा बड़ा हो रहा है, पूरे कमरे में दौड़ रहा है और लाल रंग का है तो आपको यह सूचना भी याद आएगी. इसे ही रिडिक्यूल करना कहते हैं.

आई : इमेजिनेशन से सब कुछ होगा आसान
प्रकृति ने इंसान को शारीरिक रूप से काम विशेषताओं वाला बनाया है, जबकि दूसरे प्राणियों को ज्यादा ताकत और ज्यादा विशेषताएं दी हैं. जैसे शेर के पास दांत और नाख़ून होते हैं, हाथी में शक्ति होती है, जबकि मानव के पास शारीरिक रूप से कोई ऐसी विशेषता नहीं होती, लेकिन उसकी सबसे बड़ी विशेषता है कल्पना शक्ति.

इसी के बलबूते आविष्कार हुए. अन्य प्राणी आज भी वैसे ही हैं, जैसे लाखों साल पहले थे. इंसान भी पहले जानवरों जैसा ही था और जंगलों में रहता था, पर आज बाकि जानवर वैसे ही हैं और इंसान पूरी तरह से बदल गया है, क्योंकि उसके पास कल्पना शक्ति है. कल्पना शक्ति मस्तिष्क में काल्पनिक स्मृतियाँ बनती हैं, जो वास्तविक स्मृतियों जैसी स्थाई हो सकती हैं. यदि कल्पनाशक्ति का उपयोग करना हमें आता हो तो इसके लिए क्या करना है, सिर्फ कल्पना करनी है.

जैसे कल्पना कीजिये आपके कमरे में सोफे पर एक शेर बैठा है, जो चॉकलेट खा रहा है. इस वाक्य को पढ़ते ही आपके दिमाग में एक काल्पनिक चित्र बन चुका है. तार्किक रूप से हम जानते हैं की शेर चॉकलेट नहीं खाता, लेकिन आपकी कल्पनाशक्ति आपको यह दिखा रही है. अपनी इस कल्पनाशक्ति को पढाई में इस्तेमाल करने पर आप सब कुछ याद कर सकते हैं और वो भी बिना तनाव के.

ए : एसोसिएशन (Association) करवाता है याद
यह याद करने में सबसे महत्वपूर्ण करक है. इसका तात्पर्य है जोड़ना. मस्तिष्क में सभी सूचनाएं आपस में जुडी होती हैं, पर उन पर नियंत्रण नहीं होने की वजह से ज़रूरत के समय सूचनाएं याद नहीं आती. मेरे घर में चाबियाँ अक्सर खोने पर एक दिन मान बाजार से लकड़ी की एक बड़ी चाबी लायी और उसे दीवार पर टांग दिया. मां ने हम सबको बुलाया और कहा, आज के बाद साडी चाबियाँ इस बड़ी चाबी पर ही टाँगनी हैं. हमने ऐसा करना शुरू किया और उस दिन के बाद हमारे घर में कभी चाबी नहीं खोई. यही होता है एसोसिएशन या साहचर्य, जिसे हम नहीं भूल सकते, उससे अगर हम उस सुचना को जोड़ दें जिसे हम नहीं भूलना चाहते तो दोनों सूचनाएं स्थाई रूप से याद रहेंगी.

एम : निमोनिक (Mnemonic) बनाता है स्थाई
स्थाई स्मृति बनाने के लिए क्रिसमस के एम् यानि निमोनिक की ज़रूरत है. इसमें दो खास बाते हैं पहली दिमाग में पहले से रखी स्मृतियों को एसोसिएशन के तौर पर इस्तेमाल करना और दूसरी नयी स्मृतियाँ जिन्हें याद रखना है, उन्हें कल्पना में रिडिक्यूल यानि अजीब करना.

 

ये है एस और एस (S and S)
अब जानते हैं कि क्रिसमस के एस और एस के बारे में. पहले एस का मतलब है स्लीप (Sleep) यानि नींद. अक्सर सुनते हैं, अच्छे नंबर लेन के लिए सोना काम कर दो और बच्चे ऐसा करने लगते हैं. आपको जानकार आश्चर्य होगा कि यही तनाव का सबसे बड़ा कारण है. हमारे लिए सोना एक आराम है हमारे दिमाग के लिए सोना वास्तव में एक काम है. दिमाग, जब हम सो रहे होते हैं तो वो सूचनाओं को व्यवस्थित कर रहा होता है i जब हम सोने का समय घटा देते हैं तो हमारी सारी सूचनाएं अव्यवस्थित हो जाती है और इससे ही तनाव और कन्फ्यूशन पैदा होते हैं. अच्छी याददाश्त और अच्छी पढाई के लिए आठ घंटे कि नींद बेहद ज़रूरी है.

अब बात करते हैं आखिरी एस की. यह एस है साइंस ऑफ़ बिलीफ (Science of Belief), यानि अपने ऊपर विश्वास रखते हुए सकारात्मक सोच के साथ काम करना. वर्ष 1956 तक पूरी दुनिया के सरे डॉक्टरों और वैज्ञानिकों का विश्वास था कि कुदरत ने इंसान को इस तरह से बनाया है कि वो अपनी सारी शक्ति लगा ले, तब भी एक मील कि दूरी 4 मिनट से काम में तय नहीं कर सकता, लेकिन सितम्बर 1956 में रॉजर बेनिस्टर ने 4 मील कि दूरी एक मिनट से काम समय में तय करके दिखाई.
आश्चर्य यह भी है कि उसके बाद उसी वर्ष छह और लोग सामने आये, जो ऐसा कर पा रहे थे और तब से लेकर अब तक इस दुनिया में 50 से ज्यादा ऐसे लोग हैं जो ऐसा कर सकते हैं i उन लोगों से पूछा गया कि आप ऐसा कैसे कर पा रहे हैं तो उन्होंने बताया कि उन्हें रॉजर बेनिस्टर से प्रेरणा मिली i वहीँ जब रॉजर बेनिस्टर से पूछा गया कि दुनिया ने आप पर विश्वास करके ऐसा किया तो अपने किस पर विश्वास करके ऐसा किया i इस पर उन्होंने कहा खुद पर विश्वास करके. रॉजर बेनिस्टर ने कहा कि मैंने अपनी कल्पना में एक मील कि दुरी 4 मिनट से काम समय में तय करते हुए हज़ारों बार देखा है, इस बार देखा. यदि हम अपनी पढाई में इस विज्ञानं का इस्तेमाल करें और अपनी कल्पना में पढाई में हमेशा सफलता को देखें तो हम हमेशा सफल रहेंगे i

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